अब EMI नहीं भर पाने पर नहीं होगी जेल! हाईकोर्ट का बड़ा फैसला लाखों लोगों के लिए राहत की खबर High Court EMI Rule

High Court EMI Rule कोरोना के बाद की आर्थिक मंदी, नौकरी में कटौती और बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है EMI भरना आज बहुत से लोगों के लिए एक मानसिक बोझ बन चुका है चाहे घर की किश्त हो, गाड़ी की हो या पर्सनल लोन की – हर महीने की तारीख आते ही हजारों लोग तनाव में आ जाते हैं लेकिन अब ऐसे ही परेशान लोगों के लिए हाईकोर्ट से बड़ी राहत की खबर आई है।

अगर आप भी किसी कारण EMI समय पर नहीं भर पाए हैं, या आपका बैंक आपको नोटिस भेज रहा है, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है हाईकोर्ट ने EMI बाउंस पर आपराधिक कार्रवाई को लेकर बेहद अहम फैसला सुनाया है, जिससे लाखों लोग राहत की सांस ले सकेंगे।

EMI बाउंस पर क्या था अब तक का नियम

अब तक अगर कोई व्यक्ति समय पर EMI नहीं भर पाता था और उसकी चेक या ऑटो डेबिट फेल हो जाती थी, तो बैंक धारा 138 (NI Act) के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज कर देता था इससे व्यक्ति को:

  • कोर्ट में पेश होना पड़ता था
  • जेल की सजा का डर रहता था
  • आर्थिक और मानसिक तनाव झेलना पड़ता था

लेकिन अब इस प्रक्रिया को लेकर न्यायपालिका ने साफ दिशा-निर्देश दिए हैं।

हाईकोर्ट ने क्या कहा अपने फैसले में

हाईकोर्ट ने हाल ही में एक केस की सुनवाई में कहा कि:

“सिर्फ EMI नहीं भर पाने को अपराध नहीं माना जा सकता, जब तक कि व्यक्ति ने जानबूझकर धोखाधड़ी न की हो।”

अदालत का मानना है कि कई बार व्यक्ति की आर्थिक स्थिति ऐसी हो जाती है कि वह समय पर किश्त नहीं भर पाता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उसके खिलाफ फौजदारी मुकदमा दर्ज कर दिया जाए।

इसका फायदा किन लोगों को मिलेगा

  • जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है और लोन चुकाने में परेशानी आ रही है
  • जो महामारी या बेरोजगारी के चलते EMI भरने में असमर्थ रहे
  • जिनका इरादा लोन लौटाने का था लेकिन हालात विपरीत थे
  • जिनके खिलाफ बैंक ने धारा 138 के तहत केस कर दिया है

अब ऐसे मामलों में कोर्ट इंसान की मंशा और स्थिति को देखेगा, ना कि सिर्फ चेक बाउंस होने की तकनीकी वजह से सजा सुनाएगा।

क्या अब EMI नहीं भरने पर कोई कार्रवाई नहीं होगी

कार्रवाई होगी, लेकिन अब ये मामला सीधे आपराधिक मामला नहीं माना जाएगा बैंक:

  • पहले रिकवरी नोटिस भेजेगा
  • फिर सिविल केस या आरबीआई के गाइडलाइन के तहत कार्यवाही करेगा
  • लेकिन सीधा गिरफ्तारी का खतरा नहीं रहेगा

यह फैसला खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो भुगतान करने की इच्छा रखते हैं, लेकिन परिस्थिति उनके अनुकूल नहीं है।

बैंक अब क्या कर सकते हैं

  • ग्राहक से बातचीत कर समझौता कर सकते हैं
  • समय बढ़ाकर नई पुनर्भुगतान योजना (Restructuring) दे सकते हैं
  • कानूनी कार्रवाई से पहले नोटिस देकर विकल्प सुझा सकते हैं

बैंकों को भी समझना होगा कि हर EMI न चुकाने वाला ग्राहक जानबूझकर दोषी नहीं होता।

क्या ये फैसला पूरे भारत पर लागू होगा

यह फैसला फिलहाल उस राज्य की सीमा में लागू है जहां से हाईकोर्ट ने निर्णय दिया है, लेकिन इसकी नजीर अब अन्य मामलों में भी दी जा सकती है अगर मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाता है और वहां से भी यही मत आता है, तो यह पूरे देश में लागू हो सकता है।

निष्कर्ष

EMI नहीं भर पाने वालों के लिए हाईकोर्ट का यह फैसला एक बड़ी राहत है अब सिर्फ तकनीकी वजहों से आम आदमी को अपराधी की तरह कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे यह फैसला इंसान की आर्थिक मजबूरी और ईमानदार मंशा को समझने की दिशा में न्यायपालिका का सकारात्मक कदम है।

अगर आपने भी किसी कारण EMI नहीं भरी है, तो घबराने की जरूरत नहीं है अब आपके पास कानूनी सुरक्षा है लेकिन फिर भी सलाह यही है कि जहां तक संभव हो, बैंक से बात करें, समाधान निकालें और किश्त समय पर भरें।